चंडीगढ़। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को राजनीति का चाणक्य ऐसे ही नहीं कहा जाता। उनमें कुछ तो बात है, जो हारी हुई बाजी को जीत में पलटने का हुनर रखते हैं। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अमित शाह ने ही नायब सैनी को भाजपा का मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया था।
केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत के समर्थक नौ विधायकों द्वारा उन्हें मुख्यमंत्री बनाने तथा अंबाला छावनी से सातवीं बार विधायक चुने गए पूर्व गृह मंत्री अनिल विज के स्वयं सीएम पद की दावेदारी ठोंकने के बाद भाजपा को लगा कि विधायक दल की बैठक में कुछ गड़बड़ हो सकती है। इसलिए नायब सैनी की राह की तमाम बाधाएं दूर करने को अमित शाह ने स्वयं मोर्चा संभाला और पर्यवेक्षक बनकर हरियाणा आए।
टास्क पूरा कर दिल्ली लौट गए शाह
नायब सैनी को भाजपा विधायक दल का नेता बनाने का अपना टास्क पूरा करते ही शाह वापस दिल्ली लौट गए। केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत और अनिल विज की सीएम पद पर की गई दावेदारी को लेकर भाजपा के किसी शीर्ष नेता, यहां तक कि स्वयं अमित शाह ने भी उन दोनों से कोई बात नहीं की।
अमित शाह का हरियाणा का पर्यवेक्षक बनना अपने आप में उन सभी नेताओं को संदेश था, जिन्होंने भाजपा के फैसले के समानांतर अपनी राजनीतिक इच्छाओं को दिलों में पनपने का अवसर दिया।
शाह के आने के बाद सभी चर्चाओं पर लगा विराम
अमित शाह जब हरियाणा के पर्यवेक्षक बने, तब राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चाओं ने जोर पकड़ा कि नायब सिंह सैनी के स्थान पर किसी दूसरे नेता को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
चर्चाएं यहां तक भी चली कि राव इंद्रजीत अपने समर्थकों से विधायक दल की बैठक में कोई खेल करवा सकते हैं। अनिल विज स्वयं बैठक में विधायक दल का नेता बनने की दावेदारी पेश कर सकते हैं, अमित शाह के आने के बाद इन सभी चर्चाओं पर विराम लग गया।
अनिल विज को बनाया प्रस्तावक
अमित शाह बुधवार को 11 बजे के बाद भाजपा विधायक दल की बैठक में पहुंचे। उनके आते ही सब कुछ शांत हो गया। अनिल विज को ही शाह ने नायब सिंह सैनी का प्रस्तावक बना दिया। विज के प्रस्तावक बनते ही उनकी विधायक दल के नेता पर दावेदारी तुरंत खत्म हो गई।
राव इंद्रजीत भी नहीं कर सके कोई ‘खेला’
राव इंद्रजीत तब तक बैठक में नहीं पहुंचे थे। इसलिए अपने नेता की गैर मौजूदगी में अहीरवाल के किसी विधायक की इतनी जुर्रत नहीं हुई कि वह अमित शाह के सामने नायब सिंह सैनी के विरोध में तथा राव इंद्रजीत के समर्थन में कोई शब्द बोल सकें।
अमित शाह ने एक रणनीति के तहत ही राव इंद्रजीत को राजभवन में नायब सिंह सैनी के साथ चलने को कहा। राव दो दिन पहले ही यह दावा कर चुके हैं कि उनकी सीएम पद पर कोई दावेदारी नहीं है और ना ही उन्होंने नौ विधायकों की परेड कराई है।
विचारधारा, कार्यकर्ता और कार्यालय को समर्पित अमित शाह
आज भारतीय राजनीति में भाजपा सबसे बड़ी और ताकतवर पार्टी है। भाजपा को ‘अजेय’ बनाने में जिन लोगों का अहम योगदान है, उनमें अमित शाह का नाम प्रमुख है। अमित शाह ने अपने रणनीतिक कौशल से देश के कई राज्यों में भगवा फहराया है। भाजपा की विचारधारा को देशभर में विस्तार देने में जितना योगदान प्रधानमंत्री का है, उतना ही योगदान अमित शाह का भी है।
यही वजह है कि अमित शाह को आधुनिक राजनीति का चाणक्य माना जाता है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए अमित शाह ने भाजपा को सफलता की नई बुलंदियों पर पहुंचाया और भाजपा लगातार उस रास्ते पर अग्रसर है। अमित शाह के बारे में कहा जाता है कि वह विचारधारा, कार्यकर्ता और कार्यालय के प्रति समर्पित नेता हैं।
अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत में अमित शाह ने बतौर बूथ वर्कर काम किया। भाजपा बूथ कार्यकर्ताओं को रजिस्टर करने का काम भी अमित शाह ने ही शुरू कराया था। हर जिले में कार्यालय तथा कार्यालयों में भाजपा के प्रमुख नेताओं, मंत्रियों, सांसदों व विधायकों के बैठने की परंपरा भी अमित शाह की देन है।