1 करोड़ का जुर्माना, 10 साल की जेल… अब लोन ऐप्स वालों की खैर नहीं! सरकार ने रखा प्रस्ताव
केंद्र सरकार ने एक नया प्रस्ताव रखा है, जिसके तहत रिजर्व बैंक (RBI) या अन्य नियामक एजेंसियों की मंजूरी के बिना लोन देना या किसी तरह का कोई ट्रांजैक्शन करना गैर जमानती अपराध माना जाएगा और इसके लिए जुर्माने के साथ दस साल तक की जेल होने की भी बात कही गई है. इसके पीछे सरकार का मकसद उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करते हुए अनियमित लोन देने की गतिविधियों पर रोक लगाना है.
डिजिटल लोन को लेकर आरबीआई की वर्किंग ग्रुप ने नवंबर 2021 में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए अनियमित लोन पर रोक लगाने के लिए कानून पेश करने सहित कई उपाय सुझाए थे. इनमें रिजर्व बैंक या अन्य रेगुलेटेड बॉडी में रजिस्ट्रेशन के बिना पब्लिक लेंडिंग में सक्रिय रहने वालों पर प्रतिबंध लगाए जाने की बात कही गई थी. हालांकि, इसमें अपने रिश्तेदार या जान-पहचान वालों से लोन लेने वालों को शामिल नहीं किया गया था.
कानून का उल्लंघन करने पर होगी सजा
सरकार ने अपने प्रस्ताव में कहा कि अगर कानून का उल्लंघन करते हुए कोई डिजिटली या अन्य तरीके से लोन देता है, तो उसे कम से कम दो साल कैद की सजा हो सकती है, जिसकी अवधि सात साल तक बढ़ाई जा सकती है. इसके साथ ही दो लाख रुपये से एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है. विधेयक में यह भी कहा गया कि अगर ऋणदाता, उधारकर्ता या संपत्ति कई राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों में स्थित है या कुल राशि इतनी बड़ी है कि जिससे सार्वजनिक हित महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित हो तो जांच सीबीआई को सौंप दी जाएगी.
इंस्टैंट लोन ऐप बना सिरदर्द
दरअसल, बीते कुछ सालों में मोबाइल के जरिए इंस्टैंट देने के मामले में तेजी आई है. अक्सर इन पर इंटरेस्ट रेट अधिक होता है, कई अघोषित शुल्क जुड़े होते हैं, लोन की वसूली भी आक्रामक तरीके से की जाती है. कई बार इन सबसे इंसान इतना परेशान हो जाता है कि वह खुदकुशी कर लेता है. इसे देखते हुए सितंबर 2022 से अगस्त 2023 तक गूगल ने अपने प्ले स्टोर से 2,200 से ज्यादा ऐसे ऐप हटा दिए हैं.