किसानों से वसूला 10 लाख का जुर्माना; पराली जलाने वालों पर हरियाणा सरकार सख्त, अधिकारियों पर भी गिरी गाज
अधिकारियों पर पहली बार हुई इतनी बड़ी कार्रवाई
प्रदेश में इतनी बड़ी कार्रवाई पहली बार हुई है, जब अधिकारियों को प्रदूषण फैलाने के प्रति जवाबदेह माना गया है। इन अधिकारियों ने अपने-अपने क्षेत्र में न तो ठीक से निरीक्षण किया और न ही किसानों को पराली जलाने से रोकने में सफलता हासिल की।
सुप्रीम कोर्ट ने की थी कड़ी टिप्पणी
हरियाणा सरकार ने किसानों व अधिकारियों पर यह सख्ती सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणियों के बाद की है। हरियाणा व पंजाब के मुख्य सचिवों को सुप्रीम कोर्ट ने पिछली पेशी पर गैर जिम्मेदार ठहराते हुए उनके विरुद्ध कार्रवाई की चेतावनी दी थी। एनसीआर में प्रदूषण चरम पर पहुंचा हुआ है।
पराली जलाने की घटनाओं में आई कमी
हरियाणा के पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण के मुताबिक 30 से 40 प्रतिशत तक पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। इस साल 15 सितंबर से 29 अक्टूबर तक पराली जलाने की 739 घटनाएं सामने आई हैं, जबकि 81 स्थानों पर आग बुझाई गई है।
पिछले साल इसी अवधि में 1094 और साल 2023 में पराली जलाने की 1813 घटनाएं हुई थी। साल 2021 में सबसे अधिक पराली जली थी और 2413 घटनाएं सामने आई थी। उन्होंने बताया कि किसानों को पराली नहीं जलाने के प्रति जागरूक बनाने तथा नोडल अधिकारियों को किसानों को जागरूक करने के लिए सख्ती की जा रही है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण के अनुसार आने वाले दिनों में प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए धूल फेंकने वाले निर्माण कार्यों पर रोक लगाई गई है तथा डीजल से चलने वाले जेनरेटर चलाने पर एनसीआर में प्रतिबंध लगाया गया है।
उन्होंने कहा कि नियमों और आदेश का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई के लिए जिला उपायुक्तों व पुलिस अधीक्षकों को मुख्य सचिव की ओर से निर्देशित किया गया है।