चंडीगढ़। हरियाणा के सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को अब केंद्र सरकार के कर्मचारियों के समान महंगाई भत्ता मिलेगा। केंद्र सरकार का अनुसरण करते हुए प्रदेश सरकार ने सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतन और पेंशन ले रहे कर्मचारियों और पेंशनर्स का महंगाई भत्ता तीन प्रतिशत बढ़ा दिया है।
53 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिलेगा
इन कर्मचारियों और पेंशनर्स को 50 प्रतिशत की बजाय 53 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिलेगा। वहीं, दीपावली के चलते इस महीने का वेतन और पेंशन भी 30 अक्टूबर को बैंक खाते में डाल दिया जाएगा।
वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की ओर से इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं। बढ़े मानदेय का लाभ विगत पहली जुलाई से मिलेगा।
लाखों कर्मचारियों और पेंशनर्स को होगा फायदा
अक्टूबर के वेतन में बढ़ा महंगाई भत्ता शामिल होगा, जबकि जुलाई, अगस्त और सितंबर के लिए तीन महीने का एरियर दिया जाएगा। प्रदेश में करीब दो लाख 75 हजार सरकारी कर्मचारी और डेढ़ लाख पेंशनर्स सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतन-पेंशन ले रहे हैं, जिन्हें इस फैसले का लाभ मिलेगा।
महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी से प्रदेश सरकार पर 498 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा। वहीं, सीएम नायब सैनी ने प्रदेश में कार्यरत आईएएस, आईपीएस व आईएफएस अधिकारियों को भी पहली जुलाई से 53 प्रतिशत महंगाई भत्ता देने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है।
पूर्व सैनिक को हाईकोर्ट ने विकलांगता पेंशन देने से इनकार
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक पूर्व सैनिक को विकलांगता पेंशन देने से इनकार कर दिया है, जो अपने परिवार के किसी करीबी सदस्य की मृत्यु के बाद सैन्य सेवा से विमुख हो गया था। सैनिक अपने सैन्य कर्तव्यों में रुचि खो बैठा था और पूजा-पाठ सहित धार्मिक अनुष्ठानों में लग गया था। कोर्ट ने माना कि ऐसा अवसाद पारिवारिक परिस्थितियों के कारण हुआ था और इसका कारण सैन्य सेवा नहीं हो सकती।
जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने सरबजीत सिंह द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश पारित किए। पीठ ने कहा कि बीमारी की शुरुआत सेवा की परिस्थितियों के कारण नहीं हुई, बल्कि पारिवारिक परिस्थितियों के कारण हुई, क्योंकि अपनी मां की मृत्यु के बाद सैनिक ने सभी तरह की सैन्य गतिविधियों में रुचि खो दी।
कोर्ट ने क्या कहा?
वह उदास रहने लगा और यूनिट में पूजा-पाठ भी करने लगा। कोर्ट के अनुसार, निष्कर्ष यह है कि अवसाद की यह बीमारी न तो सैन्य सेवा के कारण हुई और न ही इससे बढ़ी। बीमारी की शुरुआत केवल पारिवारिक परिस्थितियों के कारण हुई।
याचिकाकर्ता छह जनवरी 1984 को सेना में भर्ती हुआ था। वह गंभीर अवसादग्रस्तता विकार के साथ मानसिक लक्षणों से पीड़ित था और 31 जनवरी 2008 को 30 प्रतिशत विकलांगता के साथ चिकित्सा श्रेणी ‘एस3’ में सेवा से उसे छुट्टी दे दी गई थी।