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चर्चित विधायक अभय सिंह को सजा पर बंटे हाईकोर्ट जज, एक से तीन साल की सजा, दूसरे से बरी

समाजवादी पार्टी के बागी विधायक माफिया अभय सिंह के एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ की डबल बेंच के दो जजों ने अलग-अलग फैसला सुनाया है. ऐसा बहुत कम होता है जब दो जजों की एक पीठ एक ही मामले में अलग-अलग फैसला सुनाते हैं लेकिन , सपा के बागी विधायक अभय सिंह के केस में ऐसा ही है.

बाहुबली नेता अभय सिंह के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय लखनऊ की खंडपीठ ने दो विपरीत फैसले सुनाए. हत्या के प्रयास समेत अन्य आरोपों के मामले में वरिष्ठ न्यायमूर्ति ए आर मसूदी ने अभय सिंह को तीन साल की सजा सुनाई जबकि न्यायमूर्ति अभय श्रीवास्तव ने अभय को बरी कर दिया. विपरीत फैसले होने के कारण अब यह मामला इलाहाबाद मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट में जाएगा. मुख्य न्यायाधीश सिंगल बेंच में इस केस को सुनने का निर्देश दे देंगे.

वरिष्ठ अधिवक्ता एलपी मिश्रा ने TV9 से बात करते हुए कहा कि जब तक अब सिंगल बेंच में मामले की सुनवाई होकर कोई निर्णय नहीं आएगा तब तक मामला विचाराधीन है. सिंगल बेंच का फैसला आने तक विधायकी पर कोई खतरा नहीं है. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में अभय सिंह की सजा 3 साल बरकरार रहने पर अभय सिंह की विधानसभा के सदस्यता चली जाएगी. अगर बरी हुए तो फैसला अभय सिंह के पक्ष में जाएगा और विधायकी बची रहेगी लेकिन तात्कालिक रूप से अभी विधायकी पर कोई खतरा नहीं है.

किस मामले में हुई सजा?

अयोध्या निवासी विकास सिंह ने बाहुबली नेता अभय सिंह के खिलाफ 2010 में हत्या के प्रयास समेत अन्य आरोपों में मामला दर्ज कराया था. एफआईआर में बताया गया कि विकास सिंह की गाड़ी पर अभय सिंह और उसके साथियों ने फायरिंग कर उसे जान से मारने का प्रयास किया. अंबेडकरनगर जिला अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद आरोपियों को बरी कर दिया था. पीड़ित विकास सिंह ने जिला अदालत के फैसले के खिलाफ 2023 में उच्च न्यायालय लखनऊ में याचिका दाखिल की थी. मामले में कई सुनवाई के बाद शुक्रवार को उच्च न्यायालय की खंडपीठ के दोनों न्यायमूर्ति ने विपरीत फैसले सुनाए.

कौन हैं अभय सिंह?

राज्यसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से बागी तेवर अख्तियार करते हुए विधायक अभय सिंह भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को राज्यसभा में मतदान करके बीजेपी के करीब आ गए और उनको केंद्र से केंद्रीय पुलिस फोर्स की सुरक्षा मिल गई.

विधायक अभय सिंह की राजनीति लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र के छात्र राजनीति से अयोध्या के गोसाईगंज सीट से विधायक बनने तक की यात्रा रही, लेकिन, उनके ऊपर उनके सफर में विवादों का खूब गहरा नाता रहा. अभय सिंह ने राजनीतिक करियर की शुरुआत बीएसपी से की थी लेकिन, बाद में सपा में शामिल हो गए 2022 में बीजेपी की आरती तिवारी को वो 13000 वोटों से हराकर दूसरी बार विधायक बने. इससे पहले 2012 में आरती तिवारी के पति बाहुबली नेता खब्बू तिवारी को उन्होंने हराया था. अभय सिंह को माफिया मुख्तार अंसारी का करीबी माना जाता था.

लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति से लेकर प्रदेश का राजनीतिक सफर मुख्तार अंसारी के संरक्षण में हुआ. अभय सिंह हमेशा विवादों में घिरे रहे, लखनऊ के जेलर आरके तिवारी की हत्या के मामले में भी उनका नाम आरोपित रहा. इसके अलावा लखनऊ जेल में खब्बू तिवारी से उनका विवाद भी खूब चर्चा में रहा. मउ विधायक कृष्ण नंद राय की हत्या में उनका नाम चर्चाओं में रहा.

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