नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बिल्डर्स को 43 परियोजनाओं में एक महीना का अल्टीमेटम, 580 करोड़ नहीं दिए तो…
नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बिल्डर्स को 43 परियोजनाओं में लीज प्रीमियम पर 580 करोड़ रुपये जीएसटी जमा करना होगा। राज्य जीएसटी विभाग गौतमबुद्ध नगर ने व्यावसायिक परियोजनाओं पर बिल्डर्स को नोटिस जारी किया है। इसमें बिल्डर्स को एक महीने का समय दिया गया है। टैक्स नहीं जमा करने पर सख्त कार्रवाई होगी, जिसमें भारी भरकम जुर्माना लगाया जा सकता है।
राज्य जीएसटी विभाग गौतमबुद्ध नगर से मिली जानकारी के अनुसार लीज प्रीमियम और लीज रेंट पर जीएसटी जमा करना अनिवार्य है। कई बिल्डर लीज रेंट पर जीएसटी जमा करते हैं। वहीं, लीज प्रीमियम पर जीएसटी नहीं जमा कर रहे हैं। रेरा की वेबसाइट से विभाग ने बिल्डर्स की लीज डीड प्राप्त की है। इन बिल्डर्स की जिले में व्यवसायिक परियोजनाएं हैं। इसमें 35 बिल्डर की व्यवसायिक परियोजनाएं राज्य जीएसटी गौतमबुद्ध नगर के अंतर्गत आती हैं, जिन पर 468 करोड़ रुपये टैक्स की देनदारी है। वहीं, आठ बिल्डर ऐसे हैं, जिनकी विभाग की विशेष अनुसंधान शाखा ने की जांच की थी, इन पर जीएसटी की देनदारी पकड़ी गई है।
अपर आयुक्त राज्यकर गौतमबुद्ध नगर चांदनी सिंह ने बताया कि सभी नामी बिल्डर हैं। लीज प्रीमियम पर 18 फीसदी के हिसाब से बिल्डर्स को जीएसटी जमा करना है, जो कि 580 करोड़ रुपये है। यह देनदारी वित्तीय वर्ष 2018-19 से अभी तक की है। उन्होंने बताया कि बीते माह नोटिस भेजे गए थे, जिसके बाद कुछ बिल्डर्स ने करीब 30 करोड़ रुपये जमा किए हैं। बाकी बिल्डर्स ने समय मांगा है। उन्होंने बताया कि जो बिल्डर्स टैक्स नहीं जमा करेंगे, उन पर नियम के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अपर आयुक्त राज्यकर गौतमबुद्ध नगर चांदनी सिंह ने बताया कि अभी और बिल्डर दायरे में आएंगे। इनकी जानकारी जुटाई जा रही है। उन्होंने कहा कि रेरा की वेबसाइट पर कई मामले अपडेट नहीं है। मसलन लीज डीड किसी और के नाम पर है और काम कोई और बिल्डर कर रहा है। इनमें ऐसे बिल्डर भी हैं, जिन्होंने अपनी जमीन सबलीज की हुई है। ऐसे में लीज और सबलीज, दोनों बिल्डर पर जीएसटी की देनदारी बनेगी। यदि प्रोजेक्ट पर विकास अधिकारों का हस्तांतरण किया गया है तो इस पर भी टैक्स लगेगा। मार्केटिंग का ठेका यदि किसी कंपनी को दिया गया है तो उस पर भी टैक्स की देनदारी बनेगी।
प्राधिकरण एक हफ्ते में देगा जानकारी
जीएसटी विभाग की ओर से नोएडा प्राधिकरण से बिल्डरों को आवंटित भूखंड के बारे में मांगी गई जानकारी देने की तैयारी शुरू कर दी गई है। नोएडा प्राधिकरण से मिली जानकारी के मुताबिक एक हफ्ते में जीएसटी विभाग को सभी बिल्डरों को आवंटित किए गए भूखंड, उसके आकार और भुगतान योजना संबंधी जानकारी दे दी जाएगी। संबंधित विभाग इस पर काम कर रहा है। रीशेड्यूलमेंट पॉलिसी के तहत यदि करार में कुछ बदलाव हुआ है तो इसकी जानकारी भी जीएसटी विभाग को दी जाएगी। जीएसटी विभाग के अनुसार रीशेड्यूलमेंट प्लान में बिल्डर और नोएडा प्राधिकरण के बीच में करार में परिवर्तन संभव है।
यह है लीज प्रीमियम
प्राधिकरण की ओर से बिल्डर को जमीन आवंटित करने के बाद उसकी रजिस्ट्री की जाती है। इसे लीज डीड कहते हैं। लीज की अवधि आमतौर पर 30 से 99 साल की होती है। लीज एग्रीमेंट, दोनों पक्षों द्वारा नोटरीकृत और हस्ताक्षरित किया जाता है। लीज पर दी जानी वाली पहली एक मुश्त रकम लीज प्रीमियम कहलाता है। वहीं, किराया लीज रेंट है।
अन्य शहरों के बिल्डर भी जांच के दायरे में
अपर आयुक्त चांदनी सिंह ने बताया कि कुछ बिल्डर ऐसे हैं, जो गौतमबुद्ध नगर में पंजीकृत हैं लेकिन उनके मुख्य ऑफिस गाजियाबाद, मेरठ और लखनऊ में हैं। इन बिल्डर्स की जानकारी वहां के जीएसटी अधिकारियों को दी जाएगी। उन्होंने बताया कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण से बिल्डरों को आवंटित भूखंड का ब्यौरा मांगा गया है। साथ ही इन बिल्डर्स के व्यवसायिक और रिहायशी प्रोजेक्ट के लीज भुगतान की जानकारी भी मांगी गई है।