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पाकिस्तान: सुरक्षा बलों की सख्ती पर प्रदर्शन छोड़कर भागे इमरान समर्थक, विरोध-प्रदर्शन खत्म

इस्लामाबाद: इमरान खान की पार्टी पीटीआई के समर्थकों ने सुरक्षाबलों से संघर्ष के बाद इस्लामाबाद से अपना विरोध प्रदर्शन खत्म कर दिया है। पीटीआई के लिहाज से ये प्रदर्शन नाकाम रहा। पीटीआई के लोगों ने इमरान खान की रिहाई होने तक इस्लामाबाद में रहने की बात कही थी। ये कसम खाने वालीं इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी भी थीं लेकिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग किया तो पीटीआई के बड़े नेता धरनास्थल से भाग गए। इस प्रदर्शन से पार्टी अपनी कोई भी मांग पूरी नहीं करा सकी। इससे ना सिर्फ पीटीआई की रणनीति को झटका लगा है बल्कि पार्टी की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठे हैं।

फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने अप्रैल 2022 में सत्ता गंवाने के बाद से कई लगातार विरोध प्रदर्शन किए हैं। पिछले चार महीनों में ही पार्टी ने कम से कम चार बड़े प्रदर्शन और रैलियां की हैं। इनमें दो प्रदर्शन बेहद अव्यवस्थित तरीके से खत्म हुए। मौजूदा प्रदर्शन में भी सुरक्षा बलों की सख्ती होते ही बुशरा बीबी और केपी सीएम अली अमीन गंडापुर रात में इस्लामाबाद से निकल गए और कार्यकर्ता अकेले पड़ गए।

पार्टी की छवि को नुकसान

एक्सपर्ट का कहना है कि पीटीआई का नेतृत्व दबाव में है क्योंकि पार्टी की कोई भी मांग पूरी नहीं हुई। इससे पार्टी को कई तरह से नुकसान हुआ है। राजनीतिक विश्लेषक जैगम खान का कहना है कि इस विरोध प्रदर्शन को ‘आखिरी उम्मीद’ की तरह पार्टी देख रही थी। इसका इस तरह खत्म होना पीटीआई के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि कार्यकर्ताओं की मौत के बावजूद कुछ हासिल नहीं हो सका।

लाहौर के राजनीतिक विश्लेषक बेनजीर शाह ने कहा, ‘सरकार की ओर से बल प्रयोग के बाद बुशरा बीबी और अली अमीन गंडापुर के सामने भागने या लड़ने की स्थिति थी और उन्होंने भागना चुना। पार्टी नेतृत्व ने अपने समर्थकों को पुलिस से पिटने के लिए अकेला छोड़ दिया। यह इमरान खान के बाद पार्टी के नेतृत्वहीन होने को भी दिखाता है। इससे साफतौर पर कार्यकर्ताओं का हौसला टूटा है।’

पीटीआई के प्रदर्शन के अचानक समाप्त होने से कार्यकर्ताओं को भी अपनी रणनीति बदलने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। एक तरफ पार्टी की अक्षमता उजागर हुई है। वहीं दूसरी ओर सरकार की ओर से भी पीटीआई को घेरा गया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के प्रवक्ता राणा अहसान अफजल ने कहा कि यह शांतिपूर्ण विरोध नहीं था और वे हिंसा चाहते थे। इस तरह का नैरेटिव पीटीआई को अलग-थलग कर सकता है।

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