उत्तर प्रदेश
मेघा भगत की भक्ति, काशी की रामलीला की शक्ति; देखें तस्वीरें
वाराणसी। रामचरितमानस का लोकभाषा में लिखा जाना उस युग की एक क्रांतिधर्मी परिघटना थी। तत्कालीन पंडितों के भाषा दुराग्रह का कठिन विरोध सह कर भी तुलसी ने जिस मजबूत संकल्पशक्ति के साथ रामकथा को जनभाषा में प्रस्तुत किया उसकी सफलता का प्रमाण है कि आज सुदूर ग्राम्यांचल का निरक्षर व्यक्ति भी मानस की दो-चार पंक्तियां आपको दृष्टांत के रूप में कब सुना देगा, आप अंदाजा नहीं लगा सकते।
तुलसीदास ने जिस समय में रामचरितमानस की रचना की वो सामाजिक असुंतलन और विद्वेष का अस्थिर समय था। जनमानस को एक मजबूत नायक की जरूरत थी जो विषम परिस्थितियों पर अपने पुरुषार्थ की गहरी छाप छोड़ सके। एक ऐसे ही समय में तुलसी ने रामचरितमानस की रचना कर मानो निराश-हताश जनता को धीरोदात्त नायक के रूप में आलंबन प्रदान कर दिया।