गुरुग्रामहरियाणा

यूको बैंक के डिप्टी मैनेजर समेत दो गिरफ्तार, फर्जी कागजात पर बैंक खाता खोलकर साइबर ठगों की करते थे मदद

गुरुग्राम। साइबर ठगों से संलिप्तता में बैंक कर्मचारियों की गिरफ्तार का सिलसिला थम नहीं रहा है। साइबर पुलिस ने फर्जी दस्तावेजों पर बैंक खाता खोलने और फिर उसे साइबर ठगों को उपलब्ध कराने के एक और मामले में शनिवार को यूको बैंक के डिप्टी मैनेजर राम अवतार समेत दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

राम अवतार राजस्थान की मानसरोवर शाखा में डेढ़ साल से कार्यरत था। इसे मानसरोवर से ही पकड़ा गया।

शेयर बाजार के नाम पर ठगे 24 लाख

एसीपी साइबर क्राइम प्रियांशु दीवान ने बताया कि 23 जुलाई को एक व्यक्ति ने साइबर थाना पश्चिम में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी। बताया था कि साइबर ठगों ने शेयर बाजार में निवेश के नाम पर उनसे 24 लाख रुपये ठग लिए। केस दर्ज होने के बाद जांच में जुटी साइबर पुलिस तकनीकी सहायता लेकर उस आरोपी तक पहुंची, जिसके खाते में ठगी की रकम गई थी।

राजस्थान के रहने वाले आरोपी

पूछताछ के आधार शनिवार को बैंक खाता धारक व फर्जी कागजात पर बैंक खाता खोलने वाले कर्मचारी को गिरफ्तार किया गया। इनकी पहचान राजस्थान के मांगरोल निवासी कनिष्क विजय वर्गीय व जयपुर के जगतपुरा निवासी राम अवतार के रूप में की गई। इस समय दाेनों जयपुर के मानसरोवर में अलग-अलग किराये से रहते थे।

2016 से कर रहा है नौकरी

पुलिस पूछताछ में पता चला कि राम अवतार यूको बैंक मानसरोवर शाखा में डिप्टी मैनेजर के पद पर काम करता है। यह 2016 से बैंक में नौकरी कर रहा है तथा पिछले डेढ़ वर्ष से इस शाखा में तैनात है। ठगी में इस्तेमाल किया गया बैंक खाता आरोपी कनिष्क व राम अवतार ने मिलीभगत कर फर्जी दस्तावेज पर खुलवाया था।

फिर वही बैंक खाता कनिष्क ने एक अन्य आरोपी को साइबर ठगी के लिए उपलब्ध करवाया था। बैंक खाता उपलब्ध करवाने के लिए कर्मचारी तथा कनिष्क को सात-सात हजार रुपये मिलते थे। आरोपियों ने अब तक सात बैंक खाते फर्जी पते पर खोलकर साइबर ठगों को उपलब्ध करवाए।दोनों को दिन दिन के रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी।

बैंक खाता खोलने के नियमों की नहीं हो रही जांच

फरवरी से अब तक साइबर ठगी के विभिन्न मामलों की जांच के दौरान गुरुग्राम साइबर पुलिस ने 20 बैंक कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है। सवाल उठता है कि आरबीआइ की ओर से इतने कड़े नियमों के बावजूद बैंक प्रबंधन इन नियमों की जांच क्यों नहीं कर रहा है। बैंक कर्मचारियों के कामकाज की देखरेख क्यों नहीं हो रही है। कई मामलों में तो बैंक कर्मचारी सीधे तौर पर फर्जीवाड़े में संलिप्त मिले।

वहीं, कई मामलों में ऐसे भी बैंक कर्मचारी पकड़े गए, जिन्होंने अपना काम ठीक से नहीं किया। टारगेट पूरा करने के चक्कर में मौके पर जाकर केवाइसी नहीं की और जल्दबाजी में खाते खोल दिए। खाता धारकों ने फर्जी पते और कागजात पर खुलवाए खातों को साइबर ठगों को बेचकर लाभ कमाया। बीते दिनों ही कायमगंज से गिरफ्तार किए गए पीएनबी बैंक के डिप्टी मैनेजर ने टारगेट पूरा करने के लिए लापरवाही दिखाते हुए मौके पर जाकर केवाइसी नहीं की थी।

इससे पहले पकड़े गए 20 बैंक कर्मचारी

  • 26 फरवरी: मोहित राठी, महेश और विश्वकर्मा मौर्या (कोटक महिंद्रा गुरुग्राम)
  • 2 मार्च: मो. मुकीम, अनिकेश, रोशन (यस बैंक दिल्ली)
  • 11 मार्च: दीपक, धर्मेंद्र (यस बैंक, रोहिणी, दिल्ली)
  • 1 अप्रैल: अमित (आरबीएल, हौज खास, दिल्ली)
  • 8 अप्रैल: जेलदार बरार (एयू स्माल फाइनेंस बैंक)
  • 10 अप्रैल: हिमांशु गंगवार (यस बैंक, राजेंद्रा प्लेस दिल्ली)
  • 10 मई: देवेंद्र शर्मा (पीएनबी, जयपुर)
  • 20 मई: यूसुफ मोहम्मद चांद (यस बैंक, अंधेरी, मुंबई)
  • 23 मई: सतीश (आइडीएफसी, झुंझुंनूं, राजस्थान)
  • 3 जुलाई: राहुल कुमार (एसबीआइ, गुरुग्राम)
  • 9 जुलाई: हरप्रीत (आइसीआइसीआइ, मंडी गोविंदगढ़, पंजाब)
  • 27 जुलाई: उत्सव (पूर्वी कर्मी आइसीआइसीआइ, इंदौर)
  • 17 सितंबर: आकाशदीप (आइसीआइसीआइ, मंडी गोविंदगढ़, पंजाब)
  • 23 सितंबर: मुकुल (इंडसइंड बैंक, उदयपुर)
  • 18 अक्टूबर: विश्वास कुमार (पंजाब नेशनल बैंक कायमगंज)

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