लोकसभा चुनाव की भरपाई के इरादे से उतरेगी BJP, सभी मंत्रियों की तय की गई जवाबदेही
लखनऊ। लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन से झटका खा चुकी भाजपा के लिए उपचुनाव अग्निपरीक्षा माना जा रहा है। पार्टी इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर लोकसभा चुनाव का हिसाब चुकता करने के साथ ही विधानसभा चुनाव के लिए बड़ा संदेश देना चाहती है। उपचुनाव की तारीखों के एलान से पहले ही सत्ताधारी दल ने जमीनी मोर्चे पर अपने सभी मंत्रियों की तैनाती की है। रालोद का साथ भाजपा की उम्मीदों को और परवान चढ़ा रहा है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव के जिस पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की रणनीति ने लोकसभा चुनाव में भाजपा को चौंकाया था, उससे पार्टी अब काफी हद तक उबर चुकी है। इसके अलावा कांग्रेस और सपा द्वारा पिछड़ों और दलितों में फैलाए गए आरक्षण के भ्रम को भी दूर करने में कुछ हद तक सफल रही है।
30 मंत्रियों की लगाई गई ड्यूटी
भाजपा की सीधी रणनीति अपनी सभी सीटों को बचाए रखने के साथ ही विपक्षी खेमें में सेंध लगाने की है। इन सीटों पर योगी सरकार के 30 मंत्रियों की ड्यूटी लगाई गई है। इनमें 14 कैबिनेट और 16 राज्यमंत्री हैं।
अखिलेश यादव के इस्तीफे से खाली हुई मैनपुरी की करहल सीट पर चार मंत्रियों को मैदान में उतारा गया है। उपचुनाव की नौ सीटें सीटों में आठ विधायकों के सांसद बनने से खाली हुई हैं, जबकि एक सीट सपा विधायक इरफान सोलंकी को सजा मिलने के कारण रिक्त हुई है। हालांकि, लोकसभा चुनाव में 37 सीटें जीतने के बाद सपा का हौसला बुलंद है। पार्टी ने छह सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जबकि भाजपा ने अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं।
यूपी में जातियों की गोलबंदी को पाटना भी सत्ताधारी दल के लिए बड़ी चुनौती है। जिन नौ सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें भाजपा और उसके सहयोगी दल पांच सीटों पर काबिज हैं।
आदर्श आचार संहिता लागू
प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के मद्देनजर संबंधित नौ जिलों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी चंद्रशेखर ने बताया कि निर्वाचन आयोग द्वारा तय कार्यक्रम के अनुसार 18 अक्टूबर को अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। नामांकन की अंतिम तिथि 25 अक्टूबर होगी। 28 अक्टूबर को नामांकन की जांच के बाद नाम वापसी की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर होगी।