उत्तर प्रदेशबुलंदशहर

बुलंदशहर के खानपुर क्षेत्र में कुत्ते के काटने से युवक की मौत

खानपुर। सड़क पर घूम रहे आवारा कुत्ते के काटने से एक युवक की मौत हो गई। नगला आलमपुर गांव निवासी यादराम ने बताया कि तीन महीने पहले खेत जाते समय कुत्ते ने उनके पुत्र रवि के दायें पांव की अंगुली में काट लिया था। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर एआरवी न मिलने से परिजनों ने घर पर देशी इलाज कराया था। 7 नवंबर को रवि पानी देखकर डरने लगा तो 9 नवंबर शनिवार को उसे इलाज के लिए दिल्ली ले गए, जहां जांच के दौरान उसे चिकित्सकों ने हाइड्रो फोबिया बीमारी से ग्रस्त बताया और लाइलाज घोषित कर दिया। इसके बाद उसे घर ले आए। यहां आने के बाद सोमवार की रात रवि ने दम तोड़ दिया।
रवि के पिता यादराम ने बताया कि कुत्ते के काटने के बाद वह एंटी रैबीज की वैक्सीन लगवाने को खानपुर पीएचसी पर पहुंचे तो स्टाफ ने एआरवी न होने की बात कही। एआरवी न मिलने पर गांव के एक वैद्य को दिखाया। उन्होंने देशी दवा देकर पानी से दूर रहने की सलाह दी। बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति सही न होने पर मजबूरन देशी इलाज कराना पड़ा। सोमवार की रात रवि ने दम तोड़ दिया। परिजनों का आरोप है कि यदि पीएचसी पर एआरवी लग जाती तो रवि की जान बच जाती।

पूर्व में भी कुत्ते के काटने से हो चुकी है मौत

वर्ष 2021 से अब तक जिले में 20 से अधिक लोगों की कुत्ते के काटने से मौत हो चुकी है। लेकिन विभागीय आंकड़ों में अभी तक आठ लोगों की रेबीज से मौत की पुष्टि की गई है। विभागीय अफसरों के अनुसार सिकंदराबाद निवासी नौ वर्षीय बच्ची व खानपुर निवासी एक युवक और दो साल की बच्ची की 2021 में, खुर्जा निवासी एक बच्चे व एक युवक की 2022 में, ततारपुर निवासी एक महिला की अप्रैल 2023 व सदर तहसील क्षेत्र निवासी एक युवक की सितंबर 2023 में रैबीज से मौत हुई है। इस वर्ष मार्च माह में सिकंदराबाद निवासी एक सराफा कारोबारी की रेबीज से मौत हुई। इनमें अधिकांश ने एआरवी भी लगवाई।

24 से 48 घंटे में जरूर लगवाएं एआरवी

जिला अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी डॉ. पंकज उपाध्याय ने बताया कि कुत्ता, बंदर या बिल्ली के काटने पर 24 से 48 घंटे में एआरवी की पहली डोज जरूर लगवानी चाहिए। दूसरी डोज तीन दिन बाद, तीसरी डोज सात दिन बाद, चौथी डोज 14 दिन बाद और जरूरत पड़ने पर पांचवीं डोज 28 दिन बाद जरूर लगवाएं। देरी करने पर जान का खतरा बना रहता है। टीका नहीं लगवाने पर रेबीज के लक्षण छह माह या एक-दो साल बाद ही नहीं बल्कि 15 साल बाद तक भी सामने आ सकते हैं।

इस संबंध में अभी कोई भी जानकारी नहीं है। परिजनों से जानकारी ली जाएगी और मृतक के संपर्क में आने वालों की जांच करवाकर एआरवी लगवाई जाएगी। – डॉ. विनय कुमार सिंह, सीएमओ

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